Friday, May 23, 2008

ज़िंदगी क्या है?

ज़िंदगी क्या है?
जानने के लिए जिंदा रहना बहुत ज़रूरी
यह भी क्या मजबूरी है !

किताबों के हर्फों में ढूँढा, कभी गीता के श्लोकों में ढूंढा
कुरान की आयतों में ढूंढा, तो कभी गुरबानी की अरदास में ढूंढा
ज़िंदगी जीने के सलीके मिले, पाप-पुण्य का हिसाब मिला,
सही ग़लत का जवाब मिला, जिंदगी क्या है? बस इसी का जवाब नही मिला

मिला नहीं कहीं जवाब तो हमने तुम्हारी आंखों में ढूंढा,
ज़िंदगी सा कुछ नज़र तो आया, पर ख़ुद से बहुत दूर नज़र आया
दूर सही पर उम्मीद का दमन नज़र तो आया,
फासले पर ही सही पर मंजिल का निशा तो नज़र आया

मंजिल जो नज़र आती है, रास्ते भी मिल जाते हैं,
अब यही सोच कर कदम हमने बढाए हैं
हाथ बढ़ा कार देखा तो मंजिल को पास ही पाया है
दूर जिसको समझ रहे थे साथ उसीको पाया है

साथ जो तेरा पाया है तब ही हमने जाना है,
ज़िंदगी क्या है इस राज़ को अब पहचाना है
रब की दुआ है ज़िंदगी, आप की अदा है ज़िंदगी
आप मुस्कुरा दे अगर वो एक पल है ज़िंदगी
आप नज़र जो डाल दे वो एक नज़र है ज़िंदगी
आप साथ दे अगर तो ये सफर है ज़िंदगी

ज़िंदगी क्या है?
जानने के लिए जीना बहुत ज़रूरी है
आप साथ जो हैं अगर तो नही ये मजबूरी है.

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