Thursday, May 29, 2008

मुसाफीर हूँ यारों

मुसाफीर हूँ यारों
शब भर का है बसेरा
सुबह चले जाना है

रात भर का तमाशा है सारा
अमावास है या पूनम की रात
कीसको क्या मीले, कीसमत का खेला है सारा
शब भर का है बसेरा , सुबह चले जाना है

यह जहाँ है मुसाफीरखाना सारा
रहगुज़र मीलेंगे कई होगी उनसे कुछ बात
पर बंजारों का डेरा है सारा
शब भर का है बसेरा, सुबह चले जाना है

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