मुसाफीर हूँ यारों
शब भर का है बसेरा
सुबह चले जाना है
रात भर का तमाशा है सारा
अमावास है या पूनम की रात
कीसको क्या मीले, कीसमत का खेला है सारा
शब भर का है बसेरा , सुबह चले जाना है
यह जहाँ है मुसाफीरखाना सारा
रहगुज़र मीलेंगे कई होगी उनसे कुछ बात
पर बंजारों का डेरा है सारा
शब भर का है बसेरा, सुबह चले जाना है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment